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बीए सेमेस्टर-2 - गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2718
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बीए सेमेस्टर-2 - गृह विज्ञान

अध्याय - 10
धन प्रबन्धन : आय, व्यय, पूरक आय, पारिवारिक बजट एवं बचतें

(Money Management : Income, Expenditure, Supplementary
Income, Family Budget and Savings)

आज के विश्व में परिवार की अधिकतम आवश्यकताओं की पूर्ति धन के बिना सम्भव नहीं है। धन के प्रति परिवार की भावनायें, उसकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति और किस सीमा तक परिवार की मनोवैज्ञानिक एवं शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है, इन सारी बातों का निर्धारण व्यक्ति की संवेगात्मक सुरक्षा तथा उसके जीवन के स्तर को निर्धारित करती हैं। धन आय करके ही अर्जित की जा सकती है। आय मुख्य रूप से निम्न प्रकार की होती है -

(1) मौद्रिक आय,
(2) वास्तविक या अमौद्रिक आय तथा
(3) मानसिक आय और
(4) कुल आय ।

मौद्रिक आय रुपये और पैसे में होती है। यह साप्ताहिक या मासिक आधार पर होती है और परिवार को मजदूरी, वेतन आदि के रूप में होती है। यह वस्तुओं और सेवाओं के रूप में भी परिवर्तित हो जाती हैं और परिवार के दैनिक जीवन के लिए आवश्यक होती है। वास्तविक आय प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हो सकती है। प्रत्यक्ष आय में उन वस्तुओं और सेवाओं को शामिल किया जाता है जो कि परिवार के सदस्यों को बिना धन के उपभोग से प्राप्त होती है। अप्रत्यक्ष आय में वस्तुयें और सेवायें आती हैं जो परिवार को किसी चीज के बदले में प्राप्त होती है और यह चीज मुख्यतः मुद्रा होती है जबकि मानसिक आय में व्यक्ति को वास्तविक आय से प्राप्त मानसिक संतोष भी शामिल रहता है। कुल आय में मानसिक आय सम्मिलित नहीं होती और न ही इसमें मुद्रा का वह भाग सम्मिलित होता है जो कि आर्थिक वस्तुओं में परिवर्तित नहीं होता और इसी कारण से यह सामाजिक आय का भाग नहीं होता। यह एक प्रकार की अतिरिक्त आय होती है जो कर चुकाने या भविष्य की बचत के लिए काम में आती है। आय अनेक स्रोतों से प्राप्त हो सकती है जिसमें मजदूरी, वेतन, ब्याज, लगान, लाभ, पेंशन आदि मुख्य हैं।

परिवार की आय सामान्यतः निश्चित होती है परन्तु कुछ उपायों या मितव्ययिता के नियमों का पालन करके इसे बढ़ाया भी जा सकता है। आय की भाँति व्यय को भी वर्गीकृत किया जा सकता है और व्यय को प्रभावित करने वाले कई कारक भी होते हैं। आय करके उसमें से बचल भी की जा सकती है । बचत के कई एक साधन हैं जिसमें जीवन बीमा भी शामिल है। साथ-ही- साथ बैंक में भी पैसा जमा करके भी बचत की जा सकती है और जमा राशि पर ब्याज भी प्राप्त किया जा सकता है। धन के बेहतर उपयोग के लिए पारिवारिक बजट बनाना सदा ही उपयोगी माना जाता है।

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

• सभी प्रकार की आय के उपयोग का आयोजन, संगठन, नियंत्रण एवं मूल्यांकन ही धन का व्यवस्थापन कहलाता है।
• फील्डमैन के अनुसार - "संवेगात्मक रूप से परिपक्व व्यक्ति धन को वास्तविक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक साधन के रूप में देखता है। साथ ही वह जानता है कि धन का प्रतीकात्मक अर्थ भी है।"
• मौद्रिक आय रुपये और पैसे के रूप में होती है जो कि एक निश्चित समय ( साप्ताहिक या मासिक) में प्राप्त होती है।
• मौद्रिक आय परिवार को मजदूरी, वेतन, ब्याज, किराया, उपहार, रॉयल्टी या सामाजिक सुरक्षा के रूप में भी प्राप्त हो सकती है।
• मौद्रिक आय, वस्तुओं और सेवाओं में भी परिवर्तित हो जाती हैं, यह बचत में भी परिवर्तित हो सकती है। -
• वास्तविक आय वस्तुओं और सेवाओं का ऐसा प्रवाह है जो कि मानवीय आवश्यकताओं की सन्तुष्टिकरण के लिए एक निश्चित समय के लिए उपलब्ध रहती हैं।
• वास्तविक आय दो प्रकार की होती है-
   (1) प्रत्यक्ष आय और
   (2) अप्रत्यक्ष आय |
• प्रत्यक्ष आय में उन वस्तुओं और सेवाओं को शामिल किया जाता है जो कि परिवार के सदस्यों को बिना धन के उपयोग से प्राप्त होती है। प्रत्यक्ष आय का उदाहरण है— स्वयं के मान का उपयोग। यद्यपि इसकी देखरेख की कीमत लगती है परन्तु यह किराये की कीमत से कम होती है।
• समुदाय द्वारा प्रदान की गयी मुक्त सेवायें या सामाजिक आय ( यथा - पुस्तकालय सुविधा, पार्क, स्कूल, सड़क पुलिस सेवायें आदि) भी प्रत्यक्ष आय की श्रेणी में आती हैं।
• अप्रत्यक्ष आय के अन्तर्गत वह वस्तुयें और सेवायें आती हैं जो कि परिवार के किसी चीज के बदले में साधारणतः मुद्रा के बदले में ही प्राप्त होती है। इनके द्वारा प्रायः सभी ऐसी भौतिक वस्तुयें खरीदी जा सकती है। जिन वस्तुओं या सेवाओं का व्यापार किया जाता है या अदला-बदली की जा सकती है।
• मानसिक आय में व्यक्ति द्वारा उसकी वास्तविक आय से प्राप्त मानसिक संतोष भी शामिल होता है।
• मानसिक आय शुद्ध रूप से वस्तुगत होती है और इसे मापना संभव नहीं होता।
• कुल आय के अन्तर्गत वास्तविक आय और मुद्रा का वह भाग सम्मिलित होता है जो कि आर्थिक वस्तुओं में परिवर्तित नहीं होता और इस कारण वह सामाजिक आय का भाग नहीं होता । यह अतिरिक्त मौद्रिक आय होती है जो कर चुकाने के लिए, भविष्य की बचत के लिए या परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को उपहार देने के काम में आती है।
• आय के अनेक स्रोत होते हैं जिनमें मुख्य हैं— मजदूरी, वेतन, ब्याज, लगान, लाभ, पेंशन तथा ग्रेच्युटी, बोनस, भत्ता, उपहार, रॉयल्टी आदि ।
• व्यय मुख्यतः तीन प्रकार का होता है -
   1. निश्चित व्यय
   2. अर्ध-निश्चित व्यय तथा
   3. आकस्मिक व्यय ।
• व्यय को प्रभावित करने वाले तत्त्वों में मुख्य है—
   1. परिवार में सदस्यों की संख्या
   2. परिवार का स्वरूप
   3. परिवार के सदस्यों की उम्र
   4. परिवार का जीवन स्तर
   5. परिवार की सामाजिक व धार्मिक मान्यतायें
   6. धन अर्जित करने वाले सदस्यों का व्यवसाय
   7. निवास स्थान
   8. व्यय का तरीका तथा
   9. गृहिणी की कुशलता और विवेक । 
• कुछ तरीकों का अनुकरण करके व्यय को सीमित भी रखा जा सकता है यथा—
   1. घर की आय का ज्ञान
   2. घर की परिस्थितियों का ज्ञान,
   3. बजट बनाने के बारे में परिवार का ज्ञान
   4. व्यय का हिसाब
   5. थोक में खरीदारी
   6. वस्तुओं के भाव की जानकारी
   7. आवश्यक चीजों की खरीदारी
   8. नगद खरीदारी ।
• बचत आय का वह भाग होता है जिसका वर्तमान में उपयोग नहीं किया जाता बल्कि भावी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए और आकस्मिक आर्थिक एवं सामाजिक संकटों से रक्षा के लिए अलग रख दिया जाता है।
• बचत के मुख्य लक्ष्य हैं—–
   1. मितव्ययिता की आदत
   2. आकस्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति
   3. आय बंद हो जाने पर एक साधन
   4. आकस्मिक खर्चों की पूर्ति
   5. अनावश्यक खर्चों पर प्रतिबंध
   6 आय में वृद्धि
   7. किसी स्थायी सम्पत्ति की खरीद
   8. आय एवं व्यय की असमानताओं की पूर्ति ।
• बचत को निर्धारित करने वाले मुख्य तत्त्व हैं-
   1. बचत करने की योग्यता
   2. बचत करने की इच्छा
   3. बचत करने की पर्याप्त सुविधायें ।
• जीवन बीमा अनिवार्य रूप से बचत का उत्तम साधन है। जीवन बीमा के मुख्य उद्देश्य हैं-
   1. नौकरी आदि छूट जाने पर आपत्ति
   2. शारीरिक असमर्थता से आपत्ति
   3. वृद्धावस्था में आपत्ति
   4. धनोपार्जक की मृत्यु पर आपत्ति
   5. सम्पत्ति कर चुकाने की व्यवस्था ।
• जीवन बीमा से मुख्य लाभ हैं -
   1. अन्य बचत योजनाओं की अपेक्षा अधिक सहायक
   2. बचत के लिए प्रोत्साहन के साथ-साथ विवश करना
   3. भुगतान में सुगमता
   4. आयकर में छूट
• प्रो. केनले के अनुसार, “बैंक एक ऐसी संख्या है जो सुरक्षा का ध्यान रखते हुए ऐसे व्यक्तियों को ऋण देती हैं जिन्हें उस रुपये की आवश्यकता होती है और व्यक्ति अपना अतिरिक्त धन उसमें जमा कर देते हैं। "
• बैंक के दो मुख्य कार्य हैं -
   1. जनता का धन जमा करना तथा
   2. ऋण प्रदान करना ।
• बैंकों में निम्न प्रकार के खाते खोले जा सकते हैं-
   1. बचत खाता
   2. चालू खाता
   3. निश्चित अवधि खाता
   4. गृह बचत खाता तथा
   5. आवर्ती जमा खाता ।
• चेक निम्न प्रकार के होते हैं-
   (1) वाहक चेक
   (2) आदेश चेक
   (3) रेखांकित चेक ।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 परिधान एवं वस्त्र विज्ञान का परिचय
  2. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 तन्तु
  5. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 सूत (धागा) का निर्माण
  8. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 तन्तु निर्माण की विधियाँ
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 वस्त्र निर्माण
  14. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 गृह प्रबन्धन का परिचय
  17. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 संसाधन, निर्णयन प्रक्रिया एवं परिवार जीवन चक्र
  20. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 समय प्रबन्धन
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 शक्ति प्रबन्धन
  26. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 धन प्रबन्धन : आय, व्यय, पूरक आय, पारिवारिक बजट एवं बचतें
  29. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  30. उत्तरमाला
  31. अध्याय - 11 कार्य सरलीकरण एवं घरेलू उपकरण
  32. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  33. उत्तरमाला

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